विपक्षी दलों को बड़ा झटका, Mayawati नहीं होंगी INDIA गठबंधन का हिस्सा, ट्वीट कर बताई नाराजगी की वजह
Mayawati: देश में 2024 में होने वाले आम चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. विभिन्न राजनीतिक दल अपनी-अपनी सुविधा और सहूलियत के हिसाब से गठबंधन का हिस्सा बन रहे हैं. इस बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने बड़ा ऐलान किया है. जहां पूर्व सीएम ने साफ कर दिया है कि वह विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा नहीं बनने जा रही हैं. मायावती ने गठबंधन की सभी संभावनाओं को खारिज कर दिया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि बीएसपी आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव और चार राज्यों के विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी.
मायावती नहीं होंगी गठबंधन का हिस्सा
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक ट्वीट्स की श्रृंखला को शेयर करते हुए लिखा, “एनडीए और भारत गठबंधन के भीतर पार्टियों की नीतियां गरीबों के हितों के खिलाफ, जाति के आधार पर विभाजनकारी, सांप्रदायिक और व्यापार समर्थक हैं.” ऐसे में इन नीतियों के खिलाफ बसपा लगातार संघर्ष कर रही है इसलिए उनके साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का सवाल ही नहीं उठता.
मायावती ने इस बात पर भी जोर दिया कि बसपा आपसी भाईचारे के जरिए हाशिये पर पड़े लोगों को एकजुट करके आगामी चुनाव में उतरेगी, जैसा कि उसने 2007 में सफलतापूर्वक किया था. ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया से बार-बार गलतफहमी न फैलाने का भी अनुरोध किया.
2. बीएसपी, विरोधियों के जुगाड/जोड़तोड़ से ज्यादा समाज के टूटे/बिखरे हुए करोड़ों उपेक्षितों को आपसी भाईचारा के आधार पर जोड़कर उनकेे गठबंधन से सन 2007 की तरह अकेले आगामी लोकसभा तथा चार राज्यों में विधानसभा का आमचुनाव लडे़गी। मीडिया बार-बार भ्रान्तियाँ न फैलाए।
— Mayawati (@Mayawati) August 30, 2023
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31 अगस्त को होने वाली बैठक
बता दें कि 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठक होने वाली है. इस दौरान कयास लगाए जा रहे थे कि बसपा सुप्रीमो मायावती भी इसमें पहुंच सकती हैं. इसे लेकर कल भी खूब खबरें बनीं. हालांकि, मायावती ने अपने पोस्ट के जरिए सभी संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया है. बता दें कि मायावती की पहचान हमेशा से एक दलित नेता के तौर पर है. यूपी से लेकर मध्य भारत के कई राज्यों में दलितों की आबादी अच्छी स्थिति में है. कहा जाता है कि इन वोटों पर सबसे ज्यादा पकड़ मायावती की है. ऐसे में मायावती का गठबंधन में शामिल न होना विपक्षी दलों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.
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