Manipur Violence : बीते कुछ दशकों में सबसे भीषण अगर जातीय हिंसा देखी गई है तो वह मणिपुर में… 3 मई को भड़की हिंसा के बाद मणिपुर अब तक शांत नहीं हो पाया है। गृहमंत्री अमित शाह दौरे पर गए है और मुद्दे को शांत कराने के प्रयास में लगे हैं। मणिपुर में हिंसा कोई आज की नहीं है.. जानकारों की मानें तो मणिपुर हिंसा के पीछे भू अधिकार, सांस्कृतिक प्रभुत्व और मादक पदार्थों की तस्करी का जटिल घालमेल है। उनके अनुसार उनकी जड़ें अफीम की खेती, उग्रवाद और मैतेई को एसटी का दर्जा देने की मांग के विरोध से जुड़ी हैं।दूसरी ओर ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले कुकी समुदाय का आरोप है कि मैतेई अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांगकर उनकी जमीन हड़पने की कोशिश कर उनके अस्तित्व को ही खतरे में डाल रहे हैं।अगर वर्तमान में बात करे तो आदिवासी क्षेत्रों में परंपरागत कानून के तहत आदिवासियों के पास भूमि का स्वामित्व हो सकता है। मणिपुर विश्वविद्यालय के प्रफेसर एंगोम दिलीप कुमार सिंह ने कहा, ‘कुकी लंबे समय से अफीम की खेती में शामिल हैं और इसने मणिपुर में एक मादक द्रव्य संस्कृति का निर्माण किया। जब सरकार ने उसे नष्ट कर दिया, तो इसने समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया।’ कुकी लोगों के बीच असंतोष का एक अन्य कारण बीजेपी सरकार का एनआरसीको लागू करने का प्रस्ताव है। इस जनजाति के लोग पूर्वोत्तर के राज्यों और म्यांमार में जनजातियों से संबंधित हैं और अक्सर सीमाओं के आर-पार आते-जाते रहते हैं। राज्य में हथियारों की आसानी से उपलब्धता ने भी पूरी स्थिति जटिल कर दी है। राज्य दशकों तक उग्रवाद से प्रभावित रहा है जिसमें तीनों प्रमुख समुदाय – मैतेई, नगा और कुकी- शामिल थे। मैतेई नेताओं का दावा है कि सरकार के साथ उग्रवाद न करने वाले समझौते पर हस्ताक्षर कर केंद्रीय बलों के संरक्षित शिविरों में रहने के लिए सहमति व्यक्त करने वाले कुकी उग्रवादी हथियारों के साथ खुलेआम घूम रहे हैं। हालांकि इस आरोप से असम राइफल्स सहमत नहीं है। कुकियों को अतिक्रमित आरक्षित वन भूमि से हटाने का अभियान भी आदिवासियों को रास नहीं आया है। कुकी अनादि काल से जंगलों को अपने अधिकारक्षेत्र में मानते हैं। कुकी समुदाय से आने वाले एक सेवानिवृत्त नौकरशाह एस. अथांग हाओकिप ने कहा कि भूमि की समस्या इस तथ्य से और जटिल हो जाती है कि मणिपुर की आबादी का लगभग 60 प्रतिशत मैतेई समुदाय के हिस्से में राज्य की लगभग 8 प्रतिशत भूमि ही है, जो बेहद उपजाऊ इंफाल घाटी में है।
बताते चले इसी आग को शांत कराने के लिए गृहमंत्री अमित शाह 3 दिवसीय दौरे पर मणिपुर गये जहां लागातार कैबिनेट की बैठको का दौर जारी अब ऐसे में क्या हल निकल कर आएगा यह देखने वाला विषय होगा क्योकि हिंसा भड़कने का सबसे बड़ा मुद्दा जातिय समीकरण है और साथ एनसीआर लागू करने का प्रस्ताव भी है बेरहाल देखना 3 मई से आग में जल रहा मणिपुर क्या वाकई शांत होगा….