LifeStyle: आखिर इतनी कठोर तपस्या करनी पड़ती हैं महिलाओं को नागा साधु बनने के लिए

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Lifestyle: भारत को साधु संतों को देश माना जाता है. यह भी कहा जाता है कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसमें सर्वाधिक धर्म और आस्था के नाम पर लोग अपने-अपने धर्मों की मान्यताओं के आधार पर जीवन यापन करते है। हिंदू धर्म में साधु-संतो की टोली लगभग हर मंदिर के बाहर देखने को मिलती है. खासकर ये कुंभ मेले के शाही स्नान में खूब देखे जाते हैं. साधु-संत में से ही एक श्रेणी होती हैं नागा साधु यानी अघोरी साधुओं की। जिनके बारे में आप अक्सर सुनते रहते होंगे, लेकिन क्या कभी आपने महिला नागा साधु के बारे में सुना है?

ऐसे बनती है महिलाएं नागा साधु

नागा एक पदवी होती है. साधुओं में वैष्‍णव, शैव और उदासीन तीनों ही सम्प्रदायों के अखाड़ें नागा बनाते हैं. पुरुषों की तरह ही महिला भी नागा साधु बनने के बाद उसी तरह से जीवन को पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित कर देती हैं. नागा में कुछ वस्त्रधारी तो बहुत से दिगंबर (निर्वस्त्र) होते हैं. हालांकि महिलाओं में नियम थोड़ अलग होते हैं. इसी तरह महिलाएं भी जब संन्यास में दीक्षा लेती हैं तो उन्हें भी नागा बनाया जाता है.

एक ही कपड़ा पहनने की होती है अनुमति

अधिकतर हम देखते हैं नागा साधु बिना कपड़े के यानि की निर्वस्त्र होते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महिला नागा साधु भी क्या बिना कपड़ों के निर्वस्त्र रहती हैं. हालांकि ऐसा नहीं है इनके लिए नियम थोड़े अलग होते हैं. महिला नागा साधु आपको मस्तक पर तिलक लगाए नजर आएंगी. उन्हें एक ही कपड़ा पहनने की अनुमति दी जाती है, जो गेरुए रंग का होता है. इस कपड़े को गांति कहते है जिसको सीला नहीं जाता है। यहीं वस्त्र इनको धारण करना होता है।

 

कठोर ब्रह्मचर्य का करना पड़ता है पालन

नागा साधु बनने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है। जिसके लिए ब्रह्मचर्य पद्धति का पालन करना पड़ता है। नागा साधुओं को बह्मचर्य की कठोर परीक्षा से होकर गुजरना होता है. इन्हें 6-12 साल तक कठोर ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है. साथ ही ये खुद को पूरी तरह से भगवान के चरणों में सपर्पित कर देती हैं. सालों ब्रह्मचर्य का पालन करने के बाद ईश्वर से नागा साधु बनने की अनुमति प्राप्त होती है।

पिंडदान की प्रकिया से भी गुजरना पड़ता है

नागा साधु बनने से पहले महिला को स्वयं अपना पिंडदान करना होता है, जिसका मतलब होता है कि, वो पिछली जिंदगी का त्याग कर इस जिंदगी को अपना रही हैं. इन महिलाओं को संन्यासी बनाने की प्रक्रिया अखाड़ों के सर्वोच्च पदाधिकारी, आचार्य महामंडलेश्वर पूरा कराते हैं. महिला नागा साधु बनने के दौरान महिलाओं को पहले अपने पूरे बाल सिर से हटवाने होते हैं. इसके बाद वे पवित्र नदी में स्नान करती हैं।

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