लॉ कमीशन का केंद्र सरकार को सुझाव, ‘यौन संबंधों के लिए उम्र सीमा में बदलाव करना ठीक नहीं’

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Law Commission: हाल ही में कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्वैच्छिक शारीरिक संबंधों को वैध बताया था। इस पर (Law Commission) विधि आयोग ने केंद्र सरकार को सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र कम करने के मुद्दे पर अपना सुझाव दिया है. विधि आयोग ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा,  यौन संबंधों बनाने के लिए दोनों पक्षों की सहमति की उम्र में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. इससे बाल विवाह और बाल तस्करी जैसे मामलों में वृध्दि होगी। जो कि सभ्य समाज के लिए अच्छे संकेत नहीं है। कानून के अनुसार, वर्तमान समय में भारत में स्वैच्छिक यौन संबंधों की उम्र 18 वर्ष निर्धारित की गई है।

अदालतों की सतर्कता जरूरी

विधि आयोग ने अदालतों को यौन संबंधों के मामलों में सतर्कता बरतने की सलाह दी है। आयोग ने कहा, कि कानून के अनुसार, 18 वर्ष से अधिक की उम्र में प्रेम प्रसंगों को नियंत्रित करना मुश्किल है। इसके साथ ही विधि आयोग ने कहा, कि पॉक्सो अधिनियम के तहत शारीरिक संबंधों के लिए दोनों पक्षों के सहमत होने की वर्तमान स्थिति या कानून में फेरबदल करना ठीक नहीं है। पिछले साल इसी मामले पर अपना विचार रखते हुए चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड ने कहा, यह फैसला लेना व कानून बनाना मुश्किल निर्णय होगा।

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इन मामलों में जजों को आती है मुश्किलें

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा था, “हम सब जानते है, कि POCSO एक्ट 18 साल से कम उम्र के नाबालिगों की सभी सेक्स संबंधी एक्टिविटीज को अपराध मानता है, चाहे भले ही इसके लिए दो नाबालिगों के बीच सहमति हो या ना हो. एक जज के रूप में मेरे लंबे कार्यकाल में मैंने देखा है, कि इस तरह के मामलों में अदालतों में फैसला करने के लिए जजों के सामने मुश्किल सवाल खड़े करते हैं.”

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