Harbhajan Singh: भारत में आपने देवी-देवताओं के कई मंदिर देखे होंगे. लेकिन क्या आपने कभी किसी सैनिक का मंदिर देखा है? जी हां, अपने देश में एक भारतीय सैनिक ऐसा है जिसका खुद का एक मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर के प्रति लोगों की इतनी आस्था है कि चीनी सैनिक भी इस मंदिर में सिर झुकाने आते हैं. कहा जाता है कि इस भारतीय सैनिक ने मरने के बाद भी सेना की नौकरी नहीं छोड़ी. सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है. आइए जानते हैं कौन है ये सिपाही और क्या है इसकी दिलचस्प और रोचक कहानी.
हरभजन सिंह जिनकी आज भी होती है पूजा
30 अगस्त 1946 को पाकिस्तान के पंजाब के सदराना गांव में एक वीर सैनिक का जन्म हुआ, जिसका नाम हरभजन सिंह रखा गया. हरभजन सिंह को बचपन से ही सेना के जीवन से बहुत प्यार था और वह सेना में शामिल होना चाहते थे. आख़िरकार 1966 में उनका सपना पूरा हुआ और उन्हें पंजाब रेजिमेंट में एक सिपाही के रूप में सेना में शामिल होने का मौका मिला. साल 1968 में उनकी ड्यूटी 23वीं पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम में लगी थी. जहां एक दिन अचानक खच्चरों का काफिला ले जाते समय नाथूला के पास उनका पैर फिसल गया और घाटी में गिरकर उनकी मृत्यु हो गई. पानी का तेज बहाव हरभजन सिंह के शरीर को बहा ले गया.
सपने में बताया पार्थिव शरीर के बारे में
बाबा हरभजन सिंह अपने साथी सैनिक के सपने में आये और अपने शव का पता बताया. जब खोजबीन की गई तो तीन दिन बाद उनका शव भारतीय सेना को उसी स्थान पर मिला, जिसके बारे में उन्होंने सपने में अपने साथी को बताया था. इसके साथ ही उन्होंने सपने में अपनी समाधि बनवाने का भी जिक्र किया. जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने जेलेप दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच 14 हजार फीट की ऊंचाई पर उनकी समाधि बनाई. यह मंदिर आज भी सिक्किम की राजधानी गंगटोक में स्थित है.
चीनी सेना भी करती है सम्मान
भारतीय सेना ही नहीं बल्कि चीनी सेना भी उनके सम्मान में सिर झुकाती है. हरभजन सिंह के प्रति देशभक्ति को देखकर आज लोग उन्हें बाबा हरभजन सिंह के नाम से जानते हैं. दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि मरने के बाद भी बाबा हरभजन सिंह अपनी सेना की ड्यूटी निभाते रहते हैं. वह चीन की सभी गतिविधियों की जानकारी अपने साथियों को सपने में देते हैं, यही वजह है कि भारतीय सेना को बाबा हरभजन पर इतना भरोसा है.
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मृत्यु के बाद भी मिलती है सुविधाएं
भारतीय सैनिकों की तरह हरभजन सिंह को भी वेतन, दो महीने की छुट्टी आदि सभी सुविधाएं मिलती हैं. बाबा के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि उनके मंदिर में उनकी तस्वीर के साथ-साथ उनके जूते और अन्य सामान भी रखे हुए हैं. सेना के जवान प्रतिदिन अपने जूते पॉलिश करते हैं. जहां सैनिक कई बार इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि उनके जूते अक्सर मिट्टी या मिट्टी से सने रहते हैं. भारतीय सेना का मानना है कि बाबा हरभजन सिंह अभी भी जीवित हैं. बता दें कि भारत और चीन के बीच फ्लैग मीटिंग होती है तो चीनी सेना बाबा हरभजन के लिए अलग से कुर्सी लगाती है. हालाँकि, अब बाबा हरभजन सिंह रिटायर हो चुके हैं, लेकिन सेना आज भी उनकी उतनी ही पूजा करती है.
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