Kanwar Yatra 2024: सबसे कठिन होती ये कांवड़ यात्रा, जानें नियम, प्रकार और महत्व

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anwar Yatra 2024: दोस्तों, भगवान शिव के प्रिय माह सावन (Sawan 2024) की शुरुआत सोमवार, 22 जुलाई 2024 से हो रही है। ये वो महीना है जब शिवभक्त अपनी छाती ठोकते हुए ‘बम-बम भोले’ का जयकारा लगाते हैं और कांवड़ यात्रा पर निकल पड़ते हैं। सावन के महीने में चारों ओर शिवमय माहौल बन जाता है, मंदिर और शिवालय भक्तों से भर जाते हैं। अब आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा के प्रकारों के बारे में।

कांवड़ यात्रा के प्रकार 

सामान्य कांवड़ यात्रा: इसमें कांवड़िये आराम-आराम से, रुक-रुक कर, विश्राम करते हुए यात्रा करते हैं। पंडालों में ठंडा पानी और आराम का मजा भी मिलता है।

डाक कांवड़ यात्रा: इस यात्रा में कांवड़िये बिना रुके लगातार चलते रहते हैं। जलभर से लेकर जलाभिषेक तक कहीं भी नहीं रुकते। मंदिरों में इनके लिए स्पेशल व्यवस्था होती है ताकि बिना रुके शिवलिंग (Jyotirlingas) तक पहुंच सकें।

खड़ी कांवड़ यात्रा: इसमें शिवभक्त खड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं। उनके साथ एक सहयोगी भी होता है, जो उनके आराम के समय कांवड़ उठाता है। यह दोस्ती की मिसाल है।

दांड़ी कांवड़ यात्रा: यह सबसे कठिन यात्रा मानी जाती है। इसमें कांवड़िये को गंगातट से शिवधाम तक लेट-लेटकर दंडवत करते हुए यात्रा करनी होती है। इसमें पूरा महीना लग जाता है, लेकिन शिवजी की कृपा से थकान का पता भी नहीं चलता।

कांवड़ यात्रा के मजेदार नियम

नशा और तामसिक भोजन: यात्रा के दौरान नशीली चीजों और मांसाहार से दूर रहें। शुद्ध और सात्विक भोजन करें।

सिर्फ पवित्र जल: कांवड़ में गंगाजल (Gangajal) पवित्र नदी का ही जल भरें। तालाब, कुंए या नल का जल बिल्कुल नहीं।

कांवड़ को स्टैंड पर रखें: विश्राम के दौरान कांवड़ को जमीन पर न रखें, इसे स्टैंड पर रखें। वरना फिर से जल भरने की जरूरत पड़ जाएगी।

बम-बम भोले का जयकारा: यात्रा के दौरान बम-बम भोले या शिव जी का जयकारा लगाते रहें।

कांवड़ यात्रा का महत्व

भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए कांवड़ यात्रा बहुत फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि सावन में कांवड़ यात्रा कर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में कोई कष्ट नहीं आता। साथ ही घर-परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तों को अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है।

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