Javed Akhtar-Munnawar Rana: मशहूर शायर मुनव्वर राना का 71 वर्ष की आयु में रविवार रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। सोमवार को उन्हें लखनऊ के ऐशबाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इस दौरान बॉलीवुड के मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख्तर भी मौजूद थे। उन्होंने मुनव्वर राना के जनाजे को कंधा भी दिया। इस मौके पर जावेद अख्तर काफी भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि मुनव्वर राना के निधन से शायरी और उर्दू का बड़ा नुकसान हुआ है। उन्होंने मुनव्वर राणा को भारतीय साहित्य और संस्कृति के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बताया। जावेद अख्तर ने मुनव्वर राणा के जनाजे को कंधा भी दिया। इस दौरान वह भावुक नजर आए।
राणा का निधन को बताया संस्कृति के लिए बड़ा नुकसान
जावेद अख्तर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, मुनव्वर राणा का निधन भारतीय साहित्य और संस्कृति के लिए एक बड़ा नुकसान है। वह एक महान शायर थे और उनकी ग़ज़लें हमेशा याद की जाएंगी। उन्होंने कहा, मैं मुनव्वर राणा के साथ एक लंबे समय से जानता था। हम दोनों एक-दूसरे के कामों की सराहना करते थे। उनके निधन से मैं बहुत दुखी हूं।
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जावेद अख्तर ने मुनव्वर की शायरी का भी किया जिक्र
मुनव्वर राणा की शायरी पर जावेद अख्तर ने कहा कि उनकी शायरी में एक अलग ही अंदाज था। उनकी शायरी में भावनाओं को बहुत ही खूबसूरती से बयां किया गया है। उन्होंने कहा कि मुनव्वर राणा की शायरी में मां का प्रतीक गजल में पहली बार नहीं होता था। उन्होंने ही इसे इस तरह इस्तेमाल किया और इसे गजल का हिस्सा बना दिया। उन्होंने मां के रिश्ते पर और इस जज्बे पर बड़े खूबसूरत शेर कहे हैं, जो पहले नहीं होते थे।जावेद अख्तर ने कहा कि अच्छी शायरी करना मुश्किल है और उससे भी ज्यादा मुश्किल है अपनी शायरी करना। यानी वो शायरी जिसे कोई सुने तो मालूम हो कि ये किस शायर की है।
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