राम मंदिर के विरोध पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने दिया बयान, बताया प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ
Rambhadracharya: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के करीब है। 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस बीच, कुछ लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है कि मंदिर का पूर अभी तक नहीं बना है, इसलिए प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जानी चाहिए। इस विरोध पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा है कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए मंदिर का पूरा बनना जरूरी नहीं है। उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में भी कई मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा उस समय की जाती थी, जब मंदिर का निर्माण पूरा नहीं होता था।
रामभद्राचार्य ने बताया प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ
रामभद्राचार्य ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ है भगवान की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करना। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है, जिसका कोई निश्चित नियम नहीं है। उन्होंने कहा कि विरोध करने वाले लोग धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह के विरोध से बचना चाहिए ।रामभद्राचार्य ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह सभी हिंदुओं के लिए एक खुशी का अवसर है। इस अवसर को किसी भी तरह से खराब नहीं करना चाहिए।
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नरेंद्र मोदी के जजमान बनने को ठहराया सही
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में यजमान बनने को सही बताया है। उन्होंने कहा कि यजमान वह हो सकता है जो सात्विक हो, जिसका आहार-विहार और व्यवहार संयमित हो। ऐसे में पीएम मोदी जी को चुना गया है। वह 11 दिन से उपवास कर रहे हैं। वह संयमित व्यक्ति हैं और प्रधानमंत्री होकर भी नॉनवेज नहीं खाते हैं। उन्हें प्राण-प्रतिष्ठा करने के लिए अधिकृत करने में कुछ भी गलत नहीं है। रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि मंदिर का पूरा बनना प्राण प्रतिष्ठा के लिए जरूरी नहीं है। गर्भगृह का निर्माण हो चुका है, यहीं पर रामलला को मूल प्रतिष्ठित होना है और यह हिस्सा बन गया है।
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