Hanuman Janmotsav: हिंदू पौराणिक ग्रंथों में हनुमान जी के गुणों में बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है, हनुमान जी भक्ति, शक्ति, बुद्धि और ज्ञान प्रतीक हैं। अंजना और केसरी के पुत्र हनुमान को पवनपुत्र भी कहा जाता है। ये पवनदेव के पूत्र और सूर्य नारायण के शिष्य हैं। सूर्य देव से ही इन्हें वेदकोश, धनुर्वेद, गंधर्व विद्या, नीति, न्याय, प्रबंध और राजनीति की शिक्षा प्राप्त हुई थी। चैत्र पूर्णिमा के दिन मंगलवार, 23 अप्रैल को हनुमान जयंती यानी हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान हनुमान रामायण के प्रचलित पात्रों में एक हैं। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी आज भी धरती पर विराजमान हैं क्योंकि इन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है लेकिन केवल अमरता ही नहीं बल्कि इसके साथ ही इन्हें अलग-अलग देवी-देवताओं से कई वरदान मिलें है। चलिए आज आपको बताते हैं कौन से है वो वरदान-
सूर्य देव से मिला वरदान
हनुमान जी को सूर्य देव से तेज का वरदान मिला था पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्यदेव ने हनुमान जी को अपना सौवां अंश होने का आशीर्वाद दिया था।
माता सीता से मिला वरदान
माता सीता से हनुमान जी को अमरता का वरदान मिला था, जब माता सीता की खोज में हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचे तो इन्हें माता सीता ने उन्हें अमरत्व का वरदान देते हुए कहा कि वे युगों-युगों तक हरिभक्तों की रक्षा करेंगे।
शिव जी से मिला वरदान
हनुमान जी को शिव का 11वां रुद्रावतार माना जाता है, भगवान शिव ने हनुमान जी को यह वरदान दिया कि, उन्हें कभी भी किसी अस्त्र से मारा नहीं जा सकता।
कुबेर से मिला वरदान
कुबेर देवता से ही हनुमान को गदा प्राप्त हुई है गदा के साथ ही उन्होंने हनुमान को यह वरदान भी दिया कि, युद्ध में उन्हें कोई परास्त नहीं कर सकेगा।
इंद्र से मिला वरदान
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार हनुमान और इंद्र के बीच युद्ध हुआ तो युद्ध में ही इंद्र ने हनुमान को यह वरदान दिया कि भविष्य में कभी भी उनके वज्र का प्रभाव हनुमान जी पर नहीं होगा।
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