क्या है फेस्टिवल ‘Halloween’ का इतिहास और कद्दू का रिलेशन, जानें इस अनोखे त्योहार के बारे में

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Halloween 2023: हैलोवीन फेस्टिवल ईसाई लोगों का त्योऔहार है.इसे हर साल 31 अक्टूेबर को मनाया जाता है. पहले यह फेस्टिवल पश्चिमी देशों में ही मनाया जाता था, लेकिन कुछ समय से इसका क्रेज भारत समेत पूरी दुनिया में बढ़ गया है. लोग हैलोवीन को ऑल हैलोवीन, ऑल हेलोस ईवनिंग और ऑल सेंट्स ईव के नाम से भी जानते है.

इस दिन लोग थीम बेस्ड पार्टी करते हैं, जिसमें कपड़े से लेकर मेकअप तक सब कुछ काफी डरावना होता है. इस फेस्टिवल को मनाने की तैयारियां काफी दिन पहले से शुरू हो जाती हैं. तो आइए आपको बताते हैं कि इस ‘डरावने त्योेहार’ की शुरुआत कैसे हुई और इसका उद्देश्य क्या है.

हैलोवीन की शुरुआत?

कई तरह की कहानियां हैलोवीन की शुरुआत को लेकर प्रचलित हैं. कहा जाता है कि करीब 2000 साल पहले इस फेस्टिवल की शुरुआत हुई थी. तब उत्तरी यूरोप में इसे ‘ऑल सेंट्स डे’ के रूप में मनाया जाता था.इतिहासकारों की मानें तो हैलोवीन प्राचीन सेल्टिक त्योहार (सम्हैन) से संबंधित है. मान्यीता है कि इस दिन मृत लोगों की आत्मामएं धरती पर आकर सामान्यै लोगों को परेशान करती थीं. ऐसे में लोगों ने उन आत्मा ओं को डराने और भगाने के लिए डरावने कपड़े और डरावना रूप बनाना शुरू कर दिया.

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कद्दू का इस त्योहार पर महत्व

कद्दू जिसे आप सब्जी के तौर पर पका कर खाते हैं, उस सजीवन का इस त्योिहार पर विशेष महत्वर है. नारंगी रंग के कद्दू को लोग इस दिन घर में लाते हैं. कद्दू को खाली कर उसमें नाक, आंख और मुंह बनाते हैं. कद्दू के मुंह के अंदर मोमबत्ती जलाकर दरवाजे पर या पेड़ पर लटकाते हैं. माना जाता है कि इससे बुरी आत्माेएं घर में प्रवेश नहीं कर पातीं. इस त्योंहार के बाद उन कद्दुओं को जमीन में दफना दिया जाता है. इसके अलावा कद्दू पाई, कद्दू ब्रेड, पॉपकॉर्न, पौंड केक, कद्दू की प्यूरी के साथ भरा हुआ रामेकिन्स, भुने हुए कद्दू के बीज और स्वीट कार्न का केक खास आत्माओं के लिए तैयार किये जाते हैं.

हैलोवीन अमेरिका और यूरेपियन देशों का क्रिसमस के बाद सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन की सबसे अलग पहचान इसका पहनावा है. इस दिन लोग दानव, शैतान, भूत, पिशाच, ग्रीम रीपर, मोंस्टर, ममी, कंकाल, वैम्पायर, करामाती, वेयरवोल्फ और चुडैलों से संबंधीत ड्रेस पहनते हैं.

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