Gita Mehta: मशहूर लेखिका और Odisha CM की बड़ी बहन का निधन, PM Modi समेत दिग्गजों ने जताया दुख

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Gita Mehta Passes Away: मशहूर लेखिका और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की बड़ी बहन गीता मेहता (Gita Mehta) का शनिवार (16 सितंबर) को निधन हो गया. बताया जा रहा है कि 80 वर्षीय लेखिका बीते दो साल साल से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थीं. जिसके चलते उन्होंने दिल्ली स्थित अपने घर पर आखिरी सांस ली. प्रधानमंत्री मोदी और नवीन पटनायक समेत देश के वरिष्ठ नेताओं ने उनके निधन पर दुख जताया है. वहीं अंतिम संस्कार के लिए ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक भी दिल्ली पहुंच गए हैं. बता दें कि लेखिका के पति का पहले ही निधन हो चुका है.

CM पटनायक पहुंचे दिल्ली

गौरतलब है कि गीता मेहता (Gita Mehta) के निधन की खबर बीते शनिवार को आई जिसके बाद से बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे  समेत देश के दिग्गज नेताओं ने उनके निधन पर दुःख जताया. इस कड़ी में रविवार को ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक भी अंतिम प्रक्रियाओं के लिए राजधानी दिल्ली पहुँच गए हैं. जहां उन्होंने दिल्ली पहुंचकर मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि मैं अपनी बड़ी बहन गीता मेहता के दुखद निधन के कारण यहां दिल्ली आया हूं.

PM Modi ने जताया दुख

गीता मेहता के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘प्रसिद्ध लेखिका गीता मेहता जी के निधन से दुखी हूं. वह एक बहुमुखी व्यक्तित्व की धनी थीं, जो अपनी बुद्धिमत्ता और लेखन के साथ-साथ फिल्म निर्माण के प्रति जुनून के लिए जानी जाती थीं. उन्हें प्रकृति और जल संरक्षण का भी शौक था. मेरी संवेदनाएं नवीन पटनायक और पूरे परिवार के साथ हैं ॐ शांति.”

कौन हैं गीता मेहता?

जानकारी के लिए बता दें, गीता मेहता न सिर्फ लेखिका थीं बल्कि डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और पत्रकार भी थीं. गीता ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की बड़ी बहन थीं. उनका जन्म वर्ष 1943 में हुआ था और उन्होंने भारत और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, ब्रिटेन में पढ़ाई की. उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं ‘स्नेक्स एंड लैडर्स’, ‘कर्मा कोला’, ‘ए रिवर सूत्र’, ‘राज’ और ‘द इटरनल गणेशा’. इसके अलावा उन्हें 1971 के युद्ध के दौरान एक युद्ध संवाददाता के रूप में बांग्लादेश पर उनके वृत्तचित्रों को व्यापक रूप से सराहा गया.

इसके साथ ही उन्हें साल 2019 में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में भारत का चौथा  सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. हालाँकि, उन्होंने राजनीतिक कारणों और चुनावी साल का हवाला देते हुए पुरस्कार को अस्वीकार कर दिया. उन्होंने अमेरिकी टेलीविजन नेटवर्क एनबीसी के लिए एक पत्रकार के रूप में भी काम किया.

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