Ganga Dussehra 2025: पुण्य की डुबकी में डूबा वाराणसी और देश
गंगा दशहरा 2025 का पर्व इस वर्ष 5 जून, गुरुवार को देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और माना जाता है कि इसी दिन देवी गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से दस प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसलिए इसे ‘दशहरा’ कहा जाता है – ‘दश’ यानी दस और ‘हारा’ यानी नाश।
Ganga Dussehra 2025: वाराणसी में विशेष आयोजन
वाराणसी में गंगा दशहरा के दिन हजारों श्रद्धालु तड़के ही गंगा घाटों पर पहुँच गए। दशाश्वमेध, अस्सी, पंचगंगा और राजेंद्र प्रसाद घाट पर विशेष भीड़ देखी गई। श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति की कामना की। घाटों को फूलों, दीपों और ध्वजों से सजाया गया था। गंगा आरती विशेष रूप से भव्य रही, जिसमें सैकड़ों लोगों ने एक साथ भाग लिया। बनारस में गंगा सेवा निधि और नगर निगम ने मिलकर घाटों की सफाई और सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए थे।
अन्य शहरों में भी उत्सव
हरिद्वार, प्रयागराज, पटना और कोलकाता जैसे शहरों में भी गंगा दशहरा बड़े धूमधाम से मनाया गया। हरिद्वार के हर की पौड़ी और प्रयागराज के संगम तट पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन-पूजन किया गया और भक्तों ने दीपदान कर गंगा मैया का धन्यवाद ज्ञापन किया।
Ganga Dussehra 2025:सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम
कई जगहों पर भजन-संध्या, कथा-वाचन, और गंगा की महिमा पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। स्कूली बच्चों द्वारा गंगा स्वच्छता पर आधारित नाटक भी प्रस्तुत किए गए, जिससे जनजागरूकता का संदेश भी फैला।
गंगा दशहरा 2025 ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि भारत में आस्था और परंपरा का संगम कितनी गहराई से लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ है। गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि जन-जन की श्रद्धा की धारा है।