कांग्रेस में भाषण देने से महात्मा गांधी के कातिल तक, कुछ ऐसे बदली Nathuram Godse की विचारधारा

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Nathuram Godse: आज 30 जनवरी ये वो दिन है जिसे भारत के इतिहास में काले दिन के नाम से भी जाना जाता है. आज की का वो दिन था जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी. 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में शाम 5 बज कर 17 मिनट पर नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर गोलियां दागी थी. नाथूराम गोडसे ने एक कर एक 3 गोलियां महात्मा गांधी जी के छाती पर दागी थी. आज पूरा देश गांधी जी को नम आंखों से याद कर रहा.

यहां हुआ जन्म

19 मई 1990 में पुणे के बारामती में विनायक वामनराव गोडसे के घर एक बच्चे ने जन्म लिया, बच्चे का नाम उस समय रामचंद्र रखा गया था. फिर बाद में उनका नाम नाथूराम विनायकराव गोडसे पड़ा. उनके पिता डाक विभाग में काम करते थे और माता गृहणी थी. नाथूराम से पहले उनके 3 भाइयों की अकाल मौत हो गई थी. जिसके बाद परिवार के लोगों को ऐसा लगने लगा की उनपर कोई श्राप है. इसको देखते हुए उनकी मां ने उनका नाम नाथीराम की जगह रामचंद्र रखा था साथ ही नाथूराम को करीब 12 सालों तक लड़की की तरह पाला था.

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ऐसे बदली विचारधारा

उनको श्राप ने निकलने के लिए उनकी नाक तक छिदवा दी गई थी, साथ ही उन्हें फ्रॉक तक पहनाया जाता था, जोकि नाथूराम को बिलकुल भी पसंद नहीं था. इतिहास के मुताबिक इन सब के बीच नाथूराम के पिता का ट्रांसफर महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ, जिसके बाद नाथूराम कांग्रेस के नेताओं से मिले, और उनके सभाओं में भाषण भी दिया. इसी बीच नाथूराम ने विनायक दामोदर सावरकर से मिले और उनकी विचारधारा से काफी प्रभावित हुए. साथ हीं वो आरएसएस में शामिल भी हो गए थे.

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