Dr APJ Abdul Kalam Death Anniversary: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 9वीं पुण्य तिथि पर जानिए उनकी संघर्ष से भरी जीवनी

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Dr APJ Abdul Kalam Death Anniversary: आज हम बात करने जा रहे हैं एपीजे अब्दुल कलाम जी के बारे में डॉ. अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम न केवल भारत के 11वें राष्ट्रपति बल्कि एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक भी थे। कलाम साहब को साइंस की दुनिया में मिसाइल मैन का नाम मिला था, तो राजनीतिक गलियारों में उनकी पहचान पीपल्स प्रेसिडेंट के तौर पर बनीं। उन्हें शिक्षा और युवा सशक्तिकरण पर जोर देने के लिए भी जाना जाता था। डॉ. कलाम का 27 जुलाई 2015 को IIM शिलांग में लेक्चर देते समय दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। आज डॉ. कलाम की 9वीं पुण्य तिथि मनाई जाएगी इस अवसर पर हम जानेंगे कि उन्होंने अखबार बेचने से लेकर भारत के राष्ट्रपति बनने तक का सफर कैसे तय किया।

15 अक्टूबर 1931 को जन्मे थे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था उनके पिता का नाम जैनुलाबदीन और मां का नाम आशियम्मा था। डॉ. कलाम अपने पांच भाई-बहनो में सबसे छोटे थे। उनका बचपन संघर्षों से भरा था। वह अपनी पढ़ाई के लिए लंबी दूरी पैदल चलकर जाते थे और अपने पारिवार की आर्थिक मदद के लिए शहर में अखबार भी बाँटते थे। हालांकि, छोटी उम्र से ही उन्हें हवाई जहाज, रॉकेट और अंतरिक्ष में गहरी रुचि थी। रामेश्वरम में स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1954 में त्रिची के सेंट जोसेफ कॉलेज से साइंस की डिग्री हासिल की थी। फिर 1957 में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

DRDO और ISRO में किया काम 

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने लगभग चार दशक तक भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में काम किया। इसरो में उन्होंने परियोजना निदेशक के तौर पर भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। फिर जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक वह रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और पूरी दुनिया को महाशक्ति बनने का एहसास दिलाया।

2002 से 2007 तक रहे देश राष्ट्रपति 

डॉ. कलाम ने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति का पद भी संभाला था। उन्होंने राष्ट्रपति का अपना कार्यकाल पूरा करने के अगले ही दिन शिक्षण पेशा फिर से शुरू कर दिया था। उन्होंने कई स्कूलों और कॉलेजों का दौरा किया और छात्रों से मुलाकात की। वह हमेशा छात्रों को बड़े सपने देखने और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करते थे। ऐसे महान व्यक्तित्व डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का 27 जुलाई 2015 का एक लेक्चर देते समय दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

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