Crude Oil: सऊदी अरब और रूस ने मंगलवार को अपने स्वैच्छिक तेल उत्पादन में कटौती को इस साल के अंत तक बढ़ाने ऐलान किया है। जिससे वैश्विक बाजार से 1.3 मिलियन बैरल कच्चे तेल की कटौती होगी और ऊर्जा की कीमतें बढ़ेंगी। रियाद और मॉस्को की दोहरी घोषणाओं ने मंगलवार दोपहर के कारोबार में बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड को 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंचा दिया, नवंबर के बाद से बाजार में इसकी कीमत में वृध्दि नहीं देखी गई। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सऊदी अरब के संबंधों पर भी दबाव को दर्शाता है। क्योंकि राष्ट्रपति जो बिडेन ने पिछले साल निर्यात को नियंत्रित करने की चुनौती दी थी।
तेल बाज़ार को स्थिर करने का एक उपाय है?
सऊदी प्रेस एजेंसी द्वारा की गई सऊदी अरब की घोषणा में कहा गया है, कि देश अभी भी बाजार की निगरानी करेगा और यदि आवश्यक हो तो आगे की कार्रवाई कर सकता है। सऊदी प्रेस एजेंसी की रिपोर्ट में ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारी का हवाला देते हुए कहा गया है, “यह अतिरिक्त स्वैच्छिक कटौती तेल बाजारों की स्थिरता और संतुलन का समर्थन करने के उद्देश्य से OPEC + देशों द्वारा किए गए एहतियाती प्रयासों को मजबूत करने के लिए आती है।”
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भारत पर कैसा असर पड़ेगा?
संयुक्त अरब अमीरात से भारत का तेल आयात भी अगस्त में घटकर 273,000 BPD हो गया, जो पिछले महीने में 290,000 BPD था। अमेरिका से खरीदारी भी जुलाई में 219,000 BPD से घटकर 160,000 BPD रह गई। भारत का कुल कच्चा तेल आयात अगस्त में 7 प्रतिशत घटकर 4.35 मिलियन बैरल प्रतिदिन रह गया। जिसके अक्टूबर से फिर बढ़ने की संभावना है, क्योंकि कच्चे तेल उत्पादों की मांग वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में गति पकड़ेगी।
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