New Parliament पर Congress का सवाल, कहा- नई संसद के डिजाइन में है कई खामियां…!
Jairam Ramesh Questions New Parliament Design: भारत के नई संसद में कार्यवाही शुरू हो गई है. वहीं अब नई संसद में सदन की विशेष कार्यवाही संपन्न हो चुकी है. जिसके बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पुरानी संसद के मुकाबले नई संसद के डिजाइन में कई खामियों का दावा किया है. पार्टी महासचिव ने कहा कि पुरानी संसद के मुकाबले नई संसद में न तो सदस्यों के बीच बातचीत और मेल जोल की जगह है, न ही कर्मचारियों को काम करने में सुविधाएं हो रही हैं.
आगे उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद नए संसद भवन के बेहतर उपयोग का रास्ता ढूंढा जाएगा. जयराम रमेश ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि नई संसद भवन का उद्घाटन जिस तरह से बड़े प्रचार प्रसार के साथ किया गया था वह प्रधानमंत्री मोदी के उद्देश्य को साकार करने वाला है. नई संसद को वास्तव में ‘मोदी मल्टी कंप्लेक्स’ या ‘मोदी मैरियट’ कहा जाना चाहिए.
सदस्यों के बीच काफी दूरिया
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि यदि आर्किटेक्चर लोकतंत्र को मार सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने बिना लिखे संविधान को खत्म करने में सफलता हासिल कर ली है. नई संसद में सदस्यों के बीच दूरी का दावा करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि यहां बैठने वाले सदस्यों को एक दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि हाल बिल्कुल आरामदायक या कॉम्पैक्ट नहीं है.
The new Parliament building launched with so much hype actually realises the PM's objectives very well. It should be called the Modi Multiplex or Modi Marriot. After four days, what I saw was the death of confabulations and conversations—both inside the two Houses and in the…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 23, 2023
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नई संसद भूलभुलैया- जयराम
जयराम रमेश ने पुराने संसद भवन की खूबियां का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि पुरानी संसद में अपनी एक अलग खूबसूरती थी, वहां सदस्यों के बीच संवाद की सुविधा भी थी. दोनों सदनों, सेंट्रल हॉल या संसद के गलियारों में घूमना भी आसान था. वहीं नई संसद इस जुड़ाव को खत्म करता है.
जयराम रमेश ने दावा किया है कि पुरानी संसद में अगर कोई खो जाता था तो वह आसानी से रास्ता ढूंढ लेता था क्योंकि उसका आकार गोलाकार था. वहीं नई संसद भूलभुलैया है, इसमें खो जाने पर रास्ता नहीं मिलेगा. आगे उन्होंने कहा कि पुरानी संसद में अतिरिक्त जगह और खुलेपन है, जबकि नई संसद कॉम्पैक्ट है. नई संसद में घूमने का आनंद खत्म हो गया है.
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