Best Soap For Skin: पैकेट पर लिखी ये बात बताती है साबुन की क्वालिटी, तुरंत लगाएं पता

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Best Soap For Skin: साबुन लगाने का असली मकसद स्किन से चिपकी गंदगी को दूर भगाना है। लेकिन साबुन घिस-घिसकर कहीं स्किन छिल गई तो? या फिर हो गई सूखी-सूखी? इसलिए हर साबुन आपके लिए अच्छा हो, यह जरूरी नहीं। साबुन की क्वालिटी TFM से तय होती है। क्या है ये TFM? टोटल फैटी मैटेरियल। यानी साबुन में कितना फैट है। जितना फैट, उतनी क्वालिटी।

साबुन की फैट स्टोरी

TFM बताता है कि साबुन कितना प्योर है और आपकी स्किन के साथ-साथ आपकी सेहत पर क्या गुल खिलाएगा। डॉक्टर की मानों तो, जितना ज्यादा TFM, उतना ज्यादा झाग और उतनी ही ज्यादा सफाई। लेकिन बहुत ज्यादा TFM वाला साबुन टॉयलेट साफ करने के काम आता है। इसमें पाम ऑयल भरा होता है और पीएच भी हाई होता है।

साबुन में जितनी फैटी सामग्रियां होती हैं, उतना बेहतर माना जाता है। लेकिन जब बहुत ज्यादा TFM हो, तो आपकी स्किन सूख सकती है। दूसरी तरफ, सिंडेट सोप होता है, जो सिंथेटिक सर्फेक्टेंट से बना होता है। इसका पीएच लेवल लो और TFM भी कम। इससे स्किन को कम डैमेज होता है।

कितना TFM चाहिए?

डॉक्टर कहते हैं कि 70 प्रतिशत TFM या पाम ऑयल का दावा किया जाता है। लेकिन स्टडीज में पाया गया है कि 25 प्रतिशत TFM भी काफी है। इससे ज्यादा का TFM बेकार हो जाता है। हाल ही में एक जर्नल ने कहा कि हमें नहाने के साबुन में 25 प्रतिशत TFM की जरूरत होती है।

कौन सा साबुन है बढ़िया?

डॉक्टर्स की मानें तो ज्यादा TFM से ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन भी ज्यादा होता है। इसलिए हमें कम TFM वाले साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा साबुन हेल्थ और ब्यूटी दोनों के लिए अच्छा है। ये स्किन के नेचुरल बैरियर को मजबूत करता है, लेकिन ज्यादा TFM वाला साबुन नेचुरल बैरियर को तोड़ देगा। इससे स्किन की सेंसिटिविटी बढ़ जाएगी।

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