
Aniruddhacharya Controversial Statement: 25 की उम्र में लड़कियां 4 जगह मुंह मार चुकी होती हैं? अनिरुद्धाचार्य की जुबान फिसली या सोच पुरानी?
जिस इंसान को लोग धर्मगुरु मानते हैं, उससे उम्मीद होती है कि वो समाज को जोड़ने की बात करेगा, लेकिन अनिरुद्धाचार्य जी शायद कुछ ज़्यादा ही ‘फ्री माइंडेड’ हो गए हैं। हाल ही में एक कथा के दौरान उन्होंने जो बोल दिया, वो सुनकर हर महिला के कान खड़े हो गए। उनका कहना था कि “25 साल की लड़कियां 4 जगह मुंह मार चुकी होती हैं, उनकी जवानी उड़ चुकी होती है।” अब सोचिए, ये बयान किसी चाय की दुकान पर बैठे लड़कों ने नहीं, एक मंच से माइक पकड़कर एक कथावाचक ने दिया है।
Aniruddhacharya Controversial Statement: उनका इशारा सीधे तौर पर इस तरफ था कि अगर लड़कियां 25 की उम्र तक शादी नहीं करतीं, तो उनके कई प्रेम-संबंध हो जाते हैं। यानी उनका चरित्र संदिग्ध होता है। और यही बात देश की लाखों महिलाओं को सीधी ठेस पहुंचा गई। सोशल मीडिया से लेकर महिला संगठनों तक, हर तरफ गुस्से की लहर दौड़ पड़ी। ट्विटर पर #ShutUpAniruddhacharya ट्रेंड करने लगा, तो वहीं इंस्टाग्राम पर हजारों महिलाएं रील बनाकर अनिरुद्धाचार्य को आइना दिखाने लगीं।
कई जगहों पर महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर इसका विरोध भी किया। कुछ जगहों पर अनिरुद्धाचार्य के पोस्टर जलाए गए, तो कहीं उनकी कथाओं का बहिष्कार शुरू हो गया। मामला बिगड़ता देख, आखिरकार उन्हें माफी मांगनी पड़ी। लेकिन उनकी माफी में भी वही घिसा-पिटा बहाना था – “मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया। मैंने सिर्फ इतना कहा था कि कुछ लड़कियां लिव-इन में रहकर रिश्ते बनाती हैं, और बाद में निभा नहीं पातीं।”
अब सवाल ये है कि क्या हर 25 साल की लड़की लिव-इन में रहती है? क्या हर लड़की के रिश्ते उसकी मर्जी से बनते और बिगड़ते हैं? क्या चरित्र पर बात करना सिर्फ महिलाओं का ही हिस्सा है? अनिरुद्धाचार्य जैसे लोग जब मंच से ऐसे बयान देते हैं, तो वो लाखों युवाओं के दिमाग में जहर घोल देते हैं। और ये कोई पहली बार नहीं है जब उन्होंने ऐसा कुछ कहा हो। पहले भी कई बार उनके बयान विवादों में रहे हैं।
फिलहाल, लोग ये सवाल पूछ रहे हैं कि एक कथावाचक को महिलाओं की उम्र, उनके रिश्ते और उनकी जिंदगी पर टिप्पणी करने का हक किसने दिया? और अगर उनका मकसद ‘चरित्र निर्माण’ था, तो क्या उसे जताने का यही तरीका था?
Aniruddhacharya Controversial Statement: अनिरुद्धाचार्य जी चाहे जितनी सफाई दे लें, लेकिन इस बार उनकी जुबान ने जो आग लगाई है, वो इतनी जल्दी बुझने वाली नहीं। आज की महिलाएं न सिर्फ समझदार हैं, बल्कि ऐसी सोच वालों को करारा जवाब देना भी जानती हैं। और इस बार जवाब सिर्फ जुबानी नहीं, सोशल मीडिया पर मीम्स और विरोध के जरिए पूरी ताकत से दिया जा रहा है।
तो अगली बार जब कोई मंच पर चढ़कर ‘संस्कृति’ के नाम पर महिलाओं के चरित्र पर बात करे, तो ज़रा सोचिए – क्या ये धर्म है या सिर्फ पितृसत्ता की एक और चाल?