पटना हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जातीय जनगणना का मामला, HC के आदेश पर रोक लगाने की मांग

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Bihar Caste Based Survey: देश में जाति, जातीय हिंसा और उत्पीड़न एक बहुत बड़ा मुद्दा है. जाति के आधार पर सबसे अधिक हिंसा वाले राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे अन्य राज्य शामिल है. आज तक ये साफ़ नहीं हो पाया है की किस जाति का जनसंख्या अधिक है और किस जाती कम है. जातीय जनसंख्या को स्पष्ट करने के लिए बिहार सरकार ने जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया था. जिसके बाद काफी विवाद हुआ और केस हाई कोर्ट में चला गया. जिसपर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने हरी झंडी दे दी है. जिसके खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल किया गया है।

जातीय जनगणना पर हाई कोर्ट का फैसला

जातीय जनगणना करने का आदेश पिछले साल राज्य सरकार ने दिया था, हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जाति आधारित सर्वे कराने का मकसद लोगो को न्याय के साथ विकास प्रदान करने का है, हम पाते है कि राज्य सरकार का कदम पूरी तरह सही है और वह इसको कराने में सक्षम है. फैसला सुनाते हुए पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि जाती खत्म करने के पयासों के बावजूद जाति एक वास्तविकता बनी हुई है।

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उच्च न्यायालय के बाद सर्वोच्च न्यायालय का सहारा

गौरतलब है की 1 अगस्त को पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार के खिलाफ दाखिल सभी याचिकाओं को खारिच कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह से वैध है, राज्य सरकार के पास इसको कराने का पूरा अधिकार है. मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने जातीय जनगणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

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