Palli Mahotsav: घी जितना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है उतना टेस्टी भी.लेकिन आजकल घी इतना महंगा हो गया है कि कुछ लोगों को देखने तक को भी नसीब नहीं होता. मगर गुजरात के गांधीनगर में मौजूद गांव रुपाल में लाखों किलो घी सड़कों पर नदी की तरह बहाया गया. यहां पर वरदायिनी माता का मन्दिर है, जिसकी हर साल पालकी यात्रा निकली जाती है, जिसे स्थानीय भाषा में पल्ली महोत्सव कहते हैं.
मां वरदायिनी में अटूट आस्था
दरअसल, मां वरदायिनी में गुजरात के लोगों की अटूट आस्था है. माता की इस पल्ली की भी खास मान्यता है. मां की जोत को घी से नहलाया जाता है. उसके बाद नवजात शशु को उस जोत का स्पर्श कराया जाता है, मान्यता है कि गर्म जोत से बच्चे को कुछ भी नहीं होता है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ नवजात शिशु को ही पल्ली की जोत से स्पर्श कराया जाता है, बल्कि हर एक शख्स माता की जोत का स्पर्श करता है या करने की कोशिश करता है. माता की जोत को स्पर्श कर लोग खुद को धन्य मानते हैं.
गुजरात में मां की सवारी निकली, लोगों ने चढ़ाए घी के कनस्तर, सड़कों पर पानी की तरह बहा
#gujrat pic.twitter.com/p1tVoGCGpo— pooja mishra (@poojami18807209) October 25, 2023
ये भी पढ़ें- Gaza के बाद Syria की बारी, Israeli युद्धक विमानों ने सैन्य हवाईअड्डे पर की बमों की बारिश
5000 साल पुरानी परंपरा
प्रत्येक साल की तरह इस साल भी करोड़ों का घी मां की जोत पर चढाया गया, जो सड़कों पर बहकर गांव के बाहर निकल गया. जो कि हर साल निकल जाता है, लेकिन लोग इसे माता का प्रसाद मानते हैं और उठाकर प्रसाद स्वरुप घर ले जाते हैं. यह बात और है कि इस प्रसाद को सड़कों से उठाकर केवल वाल्मीकि समाज के लोग ही ले जा सकते हैं. पल्ली की परम्परा रुपाल में 5000 साल से चली आ रही है.
ये भी पढ़ें- शूटिंग के दौरान घायल हुए Reel लाइफ के ‘प्रभु राम’ Arun Govil, प्रोड्यूसर ने दी जानकारी
देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘Saugandh TV’ को अभी subscribe करें. आप हमें FACEBOOK,और INSTAGRAM पर भी फॉलो कर सकते हैं.