Sudan Story: सूडान में क्यों हो रहा सिवील वॉर, क्या है इसके पीछे की कहानी
पिछले दो सालों से खूनी संघर्ष चल रहा है और अब ये सिविल वॉर में तब्दिल हो चुका है. सेना और RSF दोनों एक दूसरे पर संघर्ष विराम के उल्लंघन के आरोप लगा रहे हैं अब तक इस संघर्ष में 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 4 हजार से ज्यादा लोग इसमें घायल हो चुके हैं
Sudan Story: सूडान(Sudan) इन दिनों हिंसा की आग में जल रहा है कई दिन बीत जाने के बाद भी वहां के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस सिविल वॉर की पूरी दुनिया में चर्चा है आखिर इसके पीछे की कहानी क्या है. चलिए आपको बताते हैं. सूडान में सत्ता के लिए जंग जारी है. पिछले दो सालों से खूनी संघर्ष चल रहा है और अब ये सिविल वॉर (Civil War) में तब्दिल हो चुका है. सेना और RSF दोनों एक दूसरे पर संघर्ष विराम के उल्लंघन के आरोप लगा रहे हैं अब तक इस संघर्ष में 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 4 हजार से ज्यादा लोग इसमें घायल हो चुके हैं और जंग है कि रूकने का नाम नहीं ले रही लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर वर्तमान में जो सूडान के हालात हैं इसके लिए जिम्मेदार कौन है आखिर क्यों कई दिन बीत जाने के बाद भी अब तक सूडान में हिंसा खत्म होने का नाम नहीं ले रही तो चलिए इसके लिए हमें जरा इतिहास के पन्नों को पलटना होगा.
तबाही के पीछे दो कद्दावर चेहरे
दरअसल इस तबाही के पीछे सूडान के दो कद्दावर चेहरे हैं. दो जनरल, जिनकी जिद, जिनकी वर्चस्व की लड़ाई की कीमत आम लोग चुका रहे हैं, पहला आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान (General Abdel Fateh Al Burhan) और दूसरा रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) का चीफ जनरल हमदान दगालो (General Hamdan Dagalo) ये दोनों सूडान के दो पावर सेंटर हैं और इन दोनों की लड़ाई में ही पूरा सूडान(Sudan) फंसा हुआ है. सूडान की सेना की कमान जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथों में है जबकि हमदान दगालो रैपिड सपोर्ट फोर्स यानी RSF के मुखिया हैं, दोनों के पास फौज की अपनी टूकड़ी है और हथियार हैं और दोनों की सेना आपस में ऐसे भीड़ी है कि इसने सूडान को जंग का मैदान बना दिया.
2021 से चल रहा सत्ता संघर्ष
दरअसल सूडान में 2021 से ही सत्ता संघर्ष चल रहा है. आर्मी चीफ अब्देल फतेह अल बुरहान (Abdel Fateh Al Burhan) के हाथ में सरकार की कमान है जबकि रैपिड सपोर्ट फोर्स यानी RSF के मुखिया मोहम्मद हमदान दगालो नंबर दो माने जाते हैं और सूडान इन दो जनरलों की लड़ाई में ही फंसा है. सूडान में दो साल पहले नागरिक और सेना की सयुंक्त सरकार थी लेकिन साल 2021 में सरकार का तख्ता पलट कर दिया गया इसके बाद से ही सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स में ठनी है.
क्यों जिद पर अड़े हैं दोनों जनरल ?
फतेह अल बुरहान और हमदान दगालो अपनी जिद पर अड़े हैं- खासकर सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स के विलय को लेकर करीब एक लाख सैनिक वाले रैपिड सपोर्ट फोर्स का अगर सेना में विलय होता है तो नई सेना का नेतृत्व कौन करेगा इस पर सहमति नहीं बन पाई. यही नहीं फतेह अल बुरहान चाहते हैं कि उनकी सेना किसी निर्वाचित सरकार को ही सत्ता हस्तांतरित करेगी. लेकिन यहां भी हमदान दगालो से कोई सहमति नहीं बन पाई है.
RSF 2013 में वजूद में आया
इसके अलावा ये जानना भी आपके लिए जरूरी है कि सूडान में रैपिड सपोर्ट फोर्स साल 2013 में वजूद में आया, ये अर्धसैनिक बल की तरह है और ये सेना से अलग है. माना जाता है कि रैपिड सपोर्ट का ताकतवर होना भी सूडान सिविल वॉर की बड़ी वजह है.
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