Uproar in Maharashtra Assembly: भाजपा और राकांपा समर्थकों की झड़प, दो गिरफ्तार

महाराष्ट्र की राजनीति में उस समय तनाव और गरमाहट आ गई जब गुरुवार को विधानसभा परिसर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) (शरद पवार गुट) के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इस घटना ने राजनीतिक मर्यादाओं और सदन की गरिमा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

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Uproar in Maharashtra Assembly: घटना की पुष्टि करते हुए पुलिस ने बताया कि झड़प में शामिल दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें 21 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। झगड़ा भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर और राकांपा नेता जितेंद्र आव्हाड के समर्थकों के बीच हुआ। कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच पहले से चली आ रही बयानबाज़ी और वैचारिक टकराव इस टकराव की मुख्य वजह बनी।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, दोनों गुटों के समर्थकों ने एक-दूसरे के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे मामला गर्मा गया और हाथापाई तक पहुंच गया। विधानसभा जैसे उच्च संवैधानिक परिसर में हुई इस घटना ने न केवल आम जनता को चौंका दिया बल्कि नेताओं की राजनीतिक जिम्मेदारी और संयम पर भी सवाल उठाए।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “सदन की मर्यादा बनाए रखना सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है। यह लोकतंत्र का मंदिर है और यहां अनुशासन, शालीनता और संवाद की भावना होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस घटना के बाद विधानसभा परिसर की सुरक्षा को और सख्त कर दिया गया है। साथ ही संबंधित दलों को भी भविष्य में ऐसे घटनाक्रम से बचने की सलाह दी गई है।

Uproar in Maharashtra Assembly: राजनीतिक माहौल में बढ़ता तनाव
यह घटना महाराष्ट्र में गहराते राजनीतिक तनाव और दलों के बीच बढ़ती कटुता का संकेत देती है। राकांपा (शरद पवार गुट) और भाजपा के बीच हाल के महीनों में कई मुद्दों पर तीखी बहस देखने को मिली है। इस झड़प ने यह भी दिखाया कि अब वैचारिक मतभेद सड़कों और सभागारों से निकलकर संवैधानिक संस्थानों के भीतर तक पहुंच गए हैं, जो लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक है।

अब सभी की निगाहें 21 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां गिरफ्तार व्यक्तियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का भविष्य तय होगा। साथ ही यह देखना भी दिलचस्प होगा कि राजनीतिक दल इस घटना से क्या सबक लेते हैं और भविष्य में सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

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